क्रोध मानव की भावनाओं में से एक है ।यह मनुष्य में ही नहीं अपितु अन्य प्राणियों में भी यह भावना विद्यमान होती है। अक्सर व्यक्ति को क्रोध तभी आता है ,जब उसकी अपेक्षा के अनुसार कार्य सिद्ध नहीं होता ,इतना ही नहीं यदि निरंतर रूप से क्रोधित होता है तो व्यक्ति में प्रवृत्ति का रूप धारण कर लेती है
वैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्ति के गुस्से आने के पीछे मस्तिष्क के अंदर ब्रेन रिसेप्टर स्थित होता है ।यह एक प्रकार का एंजाइम्स है ।उसका पूरा नाम मोनोएमीन ओक्सीडेस है ।आपको जानकर आपको बेहद विचित्र लगेगा, कि यदि इस रिसेप्टर को बंद कर दे ,तो हमें गुस्सा आने की समस्या से निजात मिल सकता है।
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क्या आप भी ना चाहते हुए भी क्रोध गिरफ्त में आ जाते हैं?
सर्वप्रथम हमें क्रोध को समझना चाहिए गुस्से को पहचानना चाहिए ,यह बेहद अहम है। क्रोध उन्हीं को अधिक आता है ,जो बहुत ही महत्वकाक्षी होते हैं। उनके अंदर धन ,वैभव की चीजों के प्रति बहुत अधिक आकर्षण होता है। जिसे प्राप्त न कर पाने पर उन्हें स्वतः क्रोध आ जाता है ।क्रोध आने के पीछे कुछ मूलभूत कारण होते हैं जो इस प्रकार है।
- असुरक्षा की भावना
- धैर्य की ना होना
- काम के दौरान तनाव होना
- क्रोध में आकर अपना अहित करना
क्या गुस्सा करना मंगलकारी साबित हो सकता है ?
वैसे व्यक्ति को गुस्सा नहीं करना चाहिए। इसका असर व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सापेक्ष रूप से पड़ता है। क्रोध को नियंत्रण करने के लिए तरह- तरह के उपाय हैं परंतु उससे भी असरदार तरीका यह है कि व्यक्ति गुस्सा से भविष्य में होने वाली हानी का मूल्यांकन कर ले । क्रोध करने का करने का भाव स्वतः खत्म हो जाएगा
मनोविज्ञान कहता है कि ‘गुस्सा पागलपन की प्रथम निशानी है’ मानसिक रोगी ‘प्रारंभिक चरण में व्यक्ति को गुस्सा सर्वाधिक आता है ।गुस्सा होने पर व्यक्ति अपने चारों और नकारात्मक वातावरण बना लेता है ,जो व्यक्ति उसके संपर्क में आता है ।वह उसके गुस्से का शिकार हो जाता है ।गुस्सा होने पर व्यक्ति किसी के द्वारा किए गए अपमान का विषपान करता रहता है। वह किसी अप्रिय घटना को याद करके अंदर ही अंदर घुटता रहता है। साथ ही अपने आसपास के लोगों को प्रभावित करता है ,एवं चिड़चिड़ापन के शिकार हो जाता है।
गुस्से से होने वाली हानि –
गुस्सा मनुष्य को पतन की ओर ले जाता है ।गुस्सा व्यक्ति के चिंतन करने की शक्ति को कुछ समय के लिए निष्क्रिय कर देता है ,साथ ही व्यक्ति को उत्तेजित कर देता है ।व्यक्ति क्रोध में बड़े से बड़े जोखिम ले लेता है। आजकल अखबार में अधिकतर अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने का कार्य गुस्सा ही है ।व्यक्ति आवेश में आकर स्वयं पर नियंत्रण खो देता है ।
रिश्तो में दूरी – क्रोध आने पर व्यक्ति गलत शब्दों का तीर चलाता है ।वह जाकर हृदय में हमेशा के लिए घर कर जाता है। व्यक्ति अपने अपमान को जीवन पर्यंत स्मरण करता रहता है।
नैतिकता का पतन – क्रोध में व्यक्ति के नैतिक मूल्य को एक तरफ रख कर बदले के भावना से दूसरे को हानि पहुंचता है । वह उसकी किसी बात की बिल्कुल परवाह नहीं करता वह गलत से गलत कार्य करके ,व्यक्ति अपने गुस्से को को शांत करता है। महाभारत महाकाव्य में कौरवों की संपूर्ण वंश का नाश के पीछे द्रौपदी का क्रोध था। जिसे शांत करने के लिए पांडव ने अपनों की बलि ली और चढ़ाई भी।
दिमाग पर प्रभाव – क्रोध आने पर व्यक्ति का सापेक्ष रूप से मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है ।इससे ऐसे रसायनिक तत्व बन जाते हैं। जो शरीर एवं मन पर विपरीत प्रभाव डालते हैं ।बहुत अधिक गुस्सैल व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक आने की आशंका बढ़ जाती है।
उच्च रक्तदाब का बढ़ना – व्यक्ति का शरीर एक प्रयोगशाला है ।इसमें भावनाएं अविष्कार का कार्य करती हैं। कभी-कभी भावना का आविष्कार कल्याणकारी तो कभी विनाशकारी साबित होता है ।यह सर्वथा भावना पर निर्भर करता है।यदि व्यक्ति क्रोध में आकर प्रतिक्रिया देता है, तो इससे रक्त का प्रवाह की गति बढ़ जाती है जो अन्य बीमारियों को जन्म देती है।
गुस्से से होने वाले लाभ-
एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं ।गुस्सा काफी हद तक हानिकारक होता है ।वही दूसरी ओर गुस्से के कुछ लाभ भी है।
1)एक अध्ययन के दृष्टिकोण से अल्प मात्रा में गुस्सा करने से व्यक्ति के स्वास्थ्य में लाभ पहुंचता है।
2)उचित समय पर उचित अनुपात में गुस्सा आने से कार्य करने की क्षमता में विकास होता है बड़े-बड़े महापुरुषों की जीवनी पढ़ने पर यह बात स्पष्ट हो जाती है ,कि उन्होंने अपने गुस्से को नियंत्रित करके उसे, ही ढाल बनाकर वह आगे शिखर तक पहुंचे।
3)वैज्ञानिकों ने अध्ययन के अनुसार जो व्यक्ति अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति क्रोध में आकर करते हैं उनका दृष्टिकोण सकारात्मक होता है ,वही जो अपनी भावनाओं को क्रोध में स्पष्ट नहीं कर पाते, उनको ब्लड प्रेशर ,नाड़ी संबंधी परेशानी में काफी बढ़ोतरी होती है।
4)गुस्सा भावनाओं एवं वेदना को बाहर लाने में सहायक होता है प्रबंधन में गुस्सा कारोबार को बुलंदी पर ले जाता है लेकिन मालिक यदि अपने कर्मचारी को क्रोध में आकर गलत बर्ताव करें, तो कारोबार में ताला लग जाता है। गुस्सा के लिए भी प्रबंधन आवश्यक है अत्यधिक क्रोध तबाही को जन्म देता है
क्रोध को कम करने पर विजय हासिल करने के लिए मनोवैज्ञानिक उपाय-
क्रोध में व्यक्ति पूर्ण रूप से अंधा हो जाता है, इसके अतिरिक्त व्यक्ति की समस्त ज्ञानेंद्रियां कुछ समय के लिए निष्क्रिय हो जाती है। वह व्यक्ति बदले की भावना से परिपूर्ण हो जाता है ,जो भी उसके मार्ग में आता है, वह उसे अपने शब्दों से पीड़ा पहुंचाता है ।ऐसी स्थिति में कुछ मनोवैज्ञानिक उपाय हैं। जिसके माध्यम से आप गुस्से को काफी हद तक मात देने में सफलता हासिल कर सकते हैं।
1) स्वयं को समय दे – जब आपको गुस्सा चरम पर हो तो ऐसी स्थिति में आप स्वयं कुछ समय के लिए ठहर जाए, जिससे आपका ध्यान केंद्रित खुद पर होगा ,जब आप गहन विचार करेंगे तो स्वयं गुस्सा शांत हो जाएगा।
2) स्थान परिवर्तन – जो व्यक्ति को क्रोध की मुद्रा में होता है तो इसके लिए बेहतर विकल्प होगा, कि कुछ समय के लिए वह अलग स्थान पर रहे, जिससे कि वह स्वयं को समय दे सके ,और अन्य व्यक्ति वह अपने क्रोध को न जाहिर कर सके।
3) सांस ले-गुस्से भी विजय हासिल करने के लिए व्यक्ति का मन शांत होना बेहद आवश्यक है ।साथ ही व्यक्ति लंबी गहरी सांस लेना प्रारंभ कर देना चाहिए ।इससे शरीर में रक्त संचार में वृद्धि होगी साथ ही वह पहले की अपेक्षा सहज महसूस करने लगेगा। इसके अतिरिक्त व्यक्ति को ठंडा पानी का सेवन करना चाहिए ,जिससे व्यक्ति का तनावमुक्त हो जाए
4) सहनशक्ति बढ़ाएं -व्यक्ति को किसी के द्वारा किए गए अपमान एवं तिरस्कार को स्मरण नहीं करना चाहिए ,इसके स्थान पर व्यक्ति को दोषी न मानकर उसे माफ कर देना चाहिए ।ऐसा न करने पर आप मानसिक रूप से अशांत रहेंगे ,माफ कर देने पर आपके मन से बदले की भावना खत्म हो जाएगी ,और आप अपने समय का सदुपयोग कर सकेंगे।
5) विचार परिवर्तन-कभी-कभी स्मरणशक्ति हमारे दुख का कारण बन जाती है ।किसी अप्रिय घटना को याद करके हमें सिर्फ दुख प्राप्त होता है। अतः ऐसी स्थिति में व्यक्ति को अपना ध्यान अन्यत्र लगा देना चाहिए क्रोध करना उचित विकल्प नहीं है इसके स्थान पर व्यक्ति को कोई अच्छा संगीत सुनना चाहिए जिससे कि उसके दिमाग को असीम शांति मिले
6) योग बनाए निरोग-व्यक्ति का जीवन जीने का तौर तरीका आचार -विचार व्यक्ति को जीवन में नित नए आयाम देते हैं। जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं, ऐसे में व्यक्ति का क्रोध आना भी लाजमी है ।इसके निदान हेतु व्यक्ति योग अपनाना चाहिए जैसे , जोगिंग वॉकिंग साइकिलिंग आदि दिनचर्या में शामिल करें यह मानसिक शांति के साथ अच्छी सेहत प्रदान करते हैं।
7) आत्मचिंतन-गुस्सा को शांत होते ही व्यक्ति का ध्यान गुस्सा आने की असल वजह की ओर केंद्रित करना चाहिए ।और इस बात का चिंतन करना चाहिए ,कि भविष्य में ऐसी परिस्थिति का सामना किस प्रकार करें ,जिससे कि उसके शरीर के साथ ही उसके काम पर भी किसी प्रकार की बाधा न खड़ी हो ,वह शांत चित्त होकर कार्य कर सकें।
8) समाधान-गुस्सा के शांत होते ही व्यक्ति को इस बात का आभास होगा, कि यदि वह उचित समय पर क्रोध का त्याग नहीं करता ,तो कितनी बड़ी हानी होगी, समय-समय पर उसे ऐसे कुछ अद्भुत अनुभव प्राप्त होंगे। जो उसे जीवन में सफल होने में काफी सहायक होंगे।
गुस्से से जुड़े कुछ अन्य तथ्य-
1)गुस्सा एक प्रकार का भावना अभिव्यक्ति का जरिया है कभी-कभी गुस्से से व्यक्ति इस प्रकार आहत हो जाता है ,कि वह स्वयं को लाचार की दृष्टि से देखने लगता है।
2)गुस्सा होने पर व्यक्ति के शरीर में बदलाव देखे गए हैं जैसे शरीर का लचीलापन होने की अपेक्षा सख्त हो जाना ,हाथ पैर में कंपन होना।
3)कभी-कभी गुस्सा विघटन नहीं अपितु सृजन का कार्य करता है ।व्यक्ति अपनी कमियों का आकलन करके ,उसमें सुधार करना प्रारंभ कर देता है
4)गुस्सा करने की प्रवृत्ति विकसित होना ,व्यक्ति विषम परिस्थितियों में गुस्सा करने से उसमें प्रवृत्ति विकसित हो जाती है।
5)गुस्से के कारण मतभेद बढ़ जाते हैं ।गुस्सा किसी भी रिश्ते की नींव हिला देने में कारगर है ।क्योंकि क्रोध में बोले गए ,शब्द रिश्तो के बीच दूरी एवं मतभेद खड़ा कर देता है ।यदि समय रहते गुस्से पर नियंत्रण नहीं किया गया तो रिश्तो की डोर हाथ से टूट जाती है। अपनों के बीच दरारें पड़ जाती है
6)गुस्सा व्यक्ति को ध्यान किसी व्यक्ति पर स्वतः केंद्रित करता है ।कभी-कभी गुस्सा व्यक्ति हथियार के रूप में प्रयोग करता है ।परंतु या तरीका उचित नहीं है। उससे से काम बनते नहीं अपितु बिगड़ते हैं
तो आप समझ गए होंगे कि गुस्सा क्या है और यदि आप और भी हमारे ब्लॉग पढ़ना चाहते हैं तो हमारे होम पेज में विजिट कर सकते हैं और मनचाहे ब्लॉक का लुफ्त उठा सकते हैं|